ऐसे दंपत्ति ( couple) जो अपने घर में किलकारियां गूंजने का बरसो से इंतजार कर रहे हैं उनके लिए अब एक खुशखबरी है। सहायक प्रजनन तकनीक आईवीएफ अब इनके लिए उम्मीद की एक नई किरण लाई है। दरअसल, देश में इनफर्टिलिटी के आंकड़े और नि:संतान दंपत्तियों ( couples)की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में चिकित्सा विज्ञान ने इनफर्टिलिटी से जूझ रहे दंपत्तियों ( couples)को ‘’आईवीएफ’’ जैसे एक बेहद ही कारगर इलाज का तोहफा दिया है।
आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने वाली लगभग सभी महिलाएं यही चाहती हैं कि वो पहले आईवीएफ चक्र में ही गर्भवती हो जाएं। साथ ही कुछ महिलाओं के मन में आईवीएफ ट्रीटमेंट को लेकर कई दुविधाएं रहती हैं। ऐसे में अब कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज (मणिपाल), मैंगलोर विश्वविद्यालय और IIT- हैदराबाद के शोधकर्ताओं के सहयोग ने mPTX नाम का एक कार्बनिक अणु (स्मॉल आर्गेनिक मॉलिक्यूल) तैयार किया है, जो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की प्रक्रिया की सफलता में अहम भूमिका निभाने वाले स्पर्म की क्षमताओं को बेहतर बनाएगा।
इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद में जैवप्रौद्योगिकी विभाग के डॉ. राजाकुमारा ईरप्पा के समूह, मेंगलूर विश्वविद्यालय के डॉ. जगदीश प्रसाद दासप्पा के समूह और मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन के प्रो. गुरुप्रसाद कल्थूर के ग्रुप ने मिलकर विकसित किया है।
इन समूहों के अध्ययन ने यह साबित किया है कि एक पेंटोक्सिफाइलाइन डेरिवेटिव के रूप में mPTX स्पर्म की आवाजाही या सक्रियता को बढ़ाने, वाइट्रो स्पर्म को लंबे समय तक अक्षुण्ण बनाए रखने और स्पर्म फर्टिलाइजेशन संभावनाओं को बढ़ाने में सहायक साबित होता है। mPTX के माध्यम से आगे बढ़ने वाली इस प्रक्रिया के कभी भी कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं। फिलहाल आईवीएफ तकनीक में फार्माकॉलोजिकल एजेंट के रूप में जिस पेंटोक्सिफाइलिन का इस्तेमाल किया जाता है, उसकी तुलना में अपेक्षाकृत कम कंसंट्रेशन वाला mPTX शरीर पर कम दुष्प्रभाव दिखाता है। ऐसे में सहायक प्रजनन प्रक्रियाओं में जिन दवाओं का उपयोग किया जा रहा है उनके मुकाबले mPTX को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
पुरुष के स्राव (Secretion) में बड़ी संख्या में spermatozoa होते हैं जो पूरे होने पर स्पर्म बन जाते हैं। डिस्चार्ज होने पर स्पर्म की मात्रा आईवीएफ या अन्य गर्भाधान विधियों के निर्धारण में सहायक होती है। पेंटोक्सिफायलाइन के साथ उपचार स्पर्म की गतिशीलता को बढ़ाता है और ये सभी गतिविधियां आईवीएफ की सफलता को निर्धारित करती है।
mPTX समय से पहले एक्रोसोमल प्रतिक्रियाओं को कम करने में सक्षम है और साथ ही यह स्पर्म की खराब गति के मामले में स्पर्म की गतिशीलता को बढ़ाता है। इन सभी गुणों ने आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान mPTX को उपचार के लिए एक प्रमुख विकल्प बना दिया है। आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए दुनिया में मौजूद अन्य दवाओं की तुलना में, mPTX अणु को व्यापक रूप से एक बेहतर एजेंट के रूप में स्वीकार किया जाता है।
डॉ आर ईरप्पा, एसोसिएट प्रोफेसर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आईआईटी-हैदराबाद ने इस बारे में कहा कि, “हमारी बहु-संस्थागत सहयोगी टीम इस mPTX और अन्य अणुओं के संयोजन का उपयोग करके एक फॉर्मूलेशन के साथ आ रही है, जो मौजूदा फॉर्मूलेशन की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकती है।”
दुनिया भर में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि पुरुष शुक्राणुओं में गतिशीलता की कमी बांझपन की एक प्रमुख वजह है। गर्भधारण के लिए शुक्राणुओं का निशेचन स्थान तक पहुंचना आवश्यक होता है। माना जा रहा है कि यह नई तकनीक गर्भाधान और उसके आगे की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में सहायक होगी।
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