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आईवीएफ कैसे किया जाता है? IVF Procedure Step by Step

| 04 Mar 2022 | 2269 Views |

आज के समय में मेडिकल साइंस ने इतनी अधिक प्रगति कर ली है कि जो काम प्राकृतिक तरीके से नहीं हो पाता है उसको मेडिकल टेक्नोलॉजी की मदद के द्वारा पूरी सफलता के साथ किया जाता है । India IVF के इस आर्टिकल के माध्यम से पूरे विस्तार के साथ बताया जाएगा की आईवीएफ कैसे किया जाता है । (IVF Procedure Step by Step).

IVF अर्थात In Vitro Fertilization और इसे ही हम टेस्ट ट्यूब बेबी (Test Tube Baby) के नाम से भी जानते हैं । यह एक ऐसा Procedure है जिसमें स्पर्म और एग को लेबोरेटरी में मिक्स किया जाता है जिसको फर्टिलाइजेशन कहते हैं । इसके पश्चात फिर भ्रूण अर्थात एंब्रियो बनते हैं । दो-तीन दिन के पश्चात लेडीस के यूट्रस में इस एंब्रियो को प्रवेश किया जाता है । इस आईवीएफ प्रक्रिया का सक्सेस रेट काफी अधिक है । आईवीएफ के प्रथम प्रयास में इसकी सफलता दर लगभग 60 से 70% के बीच होने की संभावना होती है।

यह IVF Technology उन महिलाओं के लिए प्रयोग में लाई जाती है जिनके पतियों में शुक्राणुओं की मात्रा में बहुत कमी पाई जाती है अर्थात एक से लेकर 10 मिलियन से भी कम होते हैं । इस आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया को हम चरणबद्ध तरीके से समझाने की पूरी कोशिश करेंगे

प्रथम चरण – मेडिकल साइंस के अनुसार नेचुरल तरीके से एक औरत के अंडाशय में 1 महीने के अंदर एक ही अंडा बनता है लेकिन आईवीएफ तकनीकी की सहायता से महिला को ऐसी दवाइयां दी जाती हैं जिसके परिणाम स्वरूप उसके अंडाशय में एक से अधिक अंडे बनते हैं यह अधिक अंडे इसलिए बनाए जाते हैं ताकि अंडों की ज्यादा संख्या में हेल्थी एंब्रियो बनाए जा सके ।

द्वितीय चरण – इस दूसरे चरण के अंतर्गत महिला के अंडाशय से एग को बाहर निकालकर महिला को 15 से 20मिनट के लिए बेसुध कर दिया जाता है इसके पश्चात अल्ट्रासाउंड इमेजिंग की सहायता के द्वारा योनि से होकर एक पतली सिरिंज डाली जाती है और इसमें स्वस्थ अंडों को इस सुई के माध्यम से बाहर खींच लाया जाता है ।

तृतीय चरण – तीसरे चरण के अंतर्गत अब लैब में तैयार पुरुष के स्पर्म से हेल्दी स्पर्म अलग किए जाते हैं और फिर इनका निषेचन अर्थात फर्टिलाइजेशन महिला के अंडों के साथ कराया जाता है । इसके लिए एक एग को होल्ड करके उसके अंदर एक स्पर्म को इंजेक्ट किया जाता है । षेचन की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात डिवेलप एंब्रियो को इनक्यूबेटर में स्थापित कर दिया जाता है ।

चतुर्थ चरण – इस चौथे चरण के दौरान इनक्यूबेटर में रखे एंब्रियो का विकास एंब्रियो साइंटिस्ट के संरक्षण में होता है । दो से 3 दिन के पश्चात यह फ़र्टिलाइज़ एग 6 से 7 सेल के एंब्रियो में कन्वर्ट हो जाता है । इस डेवलप एंब्रियो में से बेस्ट क्वालिटी वाले तीन से चार एंब्रियो का लेक्शन करके प्रत्यारोपण किया जाता है ।

पांचवा चरण – एंब्रियो साइंटिस्ट विकसित भ्रूण में से एक या अधिक हेल्दी एंब्रियो का सिलेक्शन करके एंब्रियो ट्रांसफर केथेएटर में ले लेते हैं । चिकित्सक केथेटर के माध्यम से एंब्रियो को पूरी सावधानी के साथ अल्ट्रासाउंड इमेजिंग की survei।।ance (देखरेख) में महिला के यूट्रस में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

India IVF के एक्सपर्ट के अनुसार इस आईवीएफ इलाज की पूरी प्रक्रिया में कहीं पर भी किसी भी प्रकार का कोई भी दर्द नहीं होता है और ना ही किसी तरह का कोई ऑपरेशन किया जाता है । इस पूरी प्रक्रिया के पूर्ण हो जाने के बाद एंब्रियो का डेवलपमेंट ठीक उसी प्रकार से होता है जैसे कि नेचुरल तरीके से गर्भधारण करने में होता है ।

FAQs

अभी तक इस बात का स्पष्टीकरण नहीं हुआ है की आईवीएफ लेने के बाद महिला यात्रा करनी चाहिए परंतु फिर भी यदि आप आईवीएफ ले रहे हैं तो उसके तुरंत बाद आपको ट्रबल नहीं करना चाहिए और अगर इमरजेंसी पड़े तो एक बार अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए ।

इंडिया आईवीएफ के विशेषज्ञों के अनुसार इसकी सफलता दर 50 से 60% तक रहती है या फिर इससे अधिक भी हो सकती है।

हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आईवीएफ और उससे जुड़े खर्चों को हेल्थ इंश्योरेंस के अंतर्गत नहीं रखा जाता है ऐसे इन खर्चों को इलाज कराने वाले लोगों को ही उठाना पड़ता है ।

About The Author
Dr. Richika Sahay

MBBS (Gold Medalist), DNB (Obst & Gyne), MNAMS, MRCOG (London-UK), Fellow IVF, Fellow MAS, Infertility (IVF) Specialist & Gynae Laparoscopic surgeon,[Ex AIIMS & Sir Gangaram Hospital, New Delhi]. Read more

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